मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-50
भाग-49 से लगातार.... अपने सिंहासन पर सवार सम्राट यान में दाखिल हुआ और उसके साथी उसके अभिवादन में खड़े हो गये। सम्राट जल्दी से यान से नीचे उतरा।
‘‘क्या बात है सम्राट?’’ उसे यूं हड़बड़ी में देखकर डोव ने पूछा।
‘‘कुछ गड़बड़ हुई है। मैंने एम-स्पेस द्वारा हीरे मोतियों की बारिश के लिये समीकरण सेट की थी लेकिन वहाँ से कीचड़ और कीड़ों की बारिश होने लगी।’’
‘‘क्या ऐसा कैसे हो सकता है?’’ सिलवासा हैरत से बोला।
‘‘कहीं एम-स्पेस में कोई खराबी तो नहीं आ गयी?’’ रोमियो ने विचार व्यक्त किया।
‘‘या तो किसी ने समीकरण को बदल दिया है।’’ सम्राट ने अंदाज़ा लगाया।
‘‘लेकिन ऐसा कौन कर सकता है?’’ रोमियो ने कहा।
‘‘ये मैंने किया है।’’ वहाँ पर एक आवाज़ गूंजी और सब की नज़रें यान की स्क्रीन पर उठ गयीं, जहाँ बन्दर के शरीर में सनी नज़र आ रहा था।
‘‘तुम?’’ सम्राट ज़ोरों से चौंका। सनी को स्क्रीन पर देखकर सभी के चेहरों पर हैरत के आसार नज़र आने लगे।
‘‘हाँ। मैं जिसको तुम लोगों ने एम-स्पेस के चक्रव्यूह में फंसा दिया था। लेकिन मैं वहाँ से बाहर आ चुका हूं।’’
‘‘नहीं। ये असंभव है। पृथ्वी का कोई मानव उस चक्रव्यूह को पार ही नहीं कर सकता।’’ सम्राट बे-यकीनी से बोला।
‘‘तुम लोगों ने पृथ्वीवासियों की क्षमता के बारे में गलत अनुमान लगाया था।’’ वे लोग एक बार फिर उछल पड़े क्योंकि अब वह बूढ़ा स्क्रीन पर दिखाई दे रहा था, जो एम-स्पेस का क्रियेटर था। वह कह रहा था, ‘‘इस बच्चे ने, न केवल तुम्हारे चक्रव्यूह को भेद दिया बल्कि कण्ट्रोल रूम तक पहुंचकर मुझे भी आज़ाद कर दिया। और अब तुम लोग अपनी सज़ाओं को भुगतने के लिये मेरे पास आने वाले हो।’’
‘‘नहीं!’’ वे लोग एक साथ चीखे लेकिन उसी समय लाल रंग की किरणें उनके पूरे यान में बिखर गयीं और उन किरणों के बीच वे सभी गायब हो गये।
यह एक बड़ा सा पिंजरा था जिसमें सम्राट और उसके साथी कैद थे। पिंजरा अजीब था क्योंकि उसकी सलाखें लोहे की न होकर सफेद रंग की किरणों से बनी थीं। इस पिंजरे के बाहर सनी व बूढ़ा दोनों मौजूद थे।
‘‘क्या अब तुम इन्हें मार दोगे?’’ सनी ने बूढ़े से पूछा।
‘‘तुम क्या चाहते हो?’’ बूढ़े ने पूछा।
‘‘नहीं इन्हें मारना मत। मैं किसी की जान नहीं लेना चाहता।’’
‘‘देख लिया तुम लोगों ने?’’ बूढ़े ने सम्राट व उसके साथियों को मुखातिब किया, ‘‘जिस लड़के को तुमने इतने कष्ट दिये, वह तुम लोगों को मारना नहीं चाहता।’’
सम्राट किरणों से बनी सलाखों के पास आया और कहने लगा, ‘‘मारना तो हम भी इसे नहीं चाहते थे। यह लड़का तो खुद अपने को मारने जा रहा था। हमने इसके शरीर का उपयोग कर लिया।’’
‘‘हाँ, वह मेरी गलती थी।’’ सनी बोला, ‘‘लेकिन अब मुझे सबक मिल गया है कि दुनिया की मुसीबतों का अगर मुकाबला किया जाये तो वह मुसीबतें आसान हो जाती है। और गणित तो हरगिज़ मुसीबत नहीं है बल्कि बहुत सी मुश्किलों से मुकाबला करने का शक्तिशाली हथियार है।’’
बूढ़े ने सनी की ओर देखा, ‘‘तुम ठीक कहते हो। वैसे मेरा इन लोगों को मारने का कोई इरादा नहीं। और एम-स्पेस में मौत का कान्सेप्ट है भी नहीं।’’
क्रमशः
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