मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-38
भाग-37 से लगातार.... ‘‘क्या सोच रहे हो?’’ उसे यूं विचारों में गुम देखकर राक्षस ने पूछा।
‘‘इस बात की क्या गारंटी है कि तुम ज़ीरो लेने के बाद मुझे धोखा नहीं दोगे।’’ सनी ने उसी से पूछ लिया।
‘‘गारंटी तो कोई नहीं। लेकिन जब तक ज़ीरो मेरे पास नहीं आता मैं कुछ नहीं कर सकता।’’ राक्षस ने सनी को और उलझन में डाल दिया था।
‘‘तुम्हें कम्प्यूटर के बाइनरी सिस्टम के बारे में सोचना चाहिए।’’ थोड़ी देर बाद राक्षस फिर इतनी सी बात बोला और चुप हो गया।
‘भला यहाँ कम्प्यूटर का बाइनरी सिस्टम कहाँ से टपक पड़ा।’ सनी ने झल्लाकर कहा। यह राक्षस भी पहेलियों में बातें कर रहा था। सनी बेचैनी से इधर उधर टहलने लगा। जबकि राक्षस अपनी जगह हाथ बाँधे हुए खड़ा था। उसके चेहरे पर सजी फिक्स मुस्कुराहट अब सनी को सुलगा रही थी।
फिर उसने अपने दिमाग को ठंडा किया। अभी तक उसे जो कामयाबी मिली थी, वह ठंडे दिमाग से सोचने का ही परिणाम थी। उसने उस राक्षस की बात पर विचार करना शुरू किया और कम्प्यूटर के बाइनर सिस्टम के बारे में गौर करने लगा। उसके कम्प्यूटर के टीचर ने बताया था कि कम्प्यूटर की पूरी गणित केवल दो अंकों पर आधारित होती है। ज़ीरो और वन। इन दोनों के मिलने से सारी गिनतियाँ बन जाती हैं।
सनी के दिमाग का बल्ब फिर रोशन हो गया। ज़ीरो तो उसके हाथ में था जबकि वह राक्षस क्यूबिक समीकरण के मान ‘वन’ को निरूपित कर रहा था। अब दोनों को अगर मिला दिया जाता तो जिस तरह बाइनरी सिस्टम में समस्त संख्याएं बन जाती हैं, उसी तरह यहाँ पर दोनों के मिलने से कोई नयी शक्ति पैदा होने का पूरा चाँस था, जो सनी को इस मुश्किल से उबार सकती थी।
हालांकि इसमें रिस्क भी था। हो सकता था कि ज़ीरो के मिलते ही वह राक्षस उसके लिये घातक सिद्ध होता। काफी देर सोचने विचारने के बाद सनी ने यह रिस्क लेने का फैसला किया। वैसे भी और कोई चारा नहीं था। अगर वह रिस्क न लेता तो शायद पूरी जिंदगी उस छोटे से कमरे में गुज़ार देनी पड़ती।
उसने अपने हाथ में मौजूद ज़ीरो को राक्षस की ओर बढ़ा दिया। जैसे ही ज़ीरो राक्षस के हाथ में पहुंचा उसके शरीर से तेज़ रोशनी कुछ इस तरह फूटी कि सनी को अपनी आँखें बन्द कर लेनी पड़ीं। उसने आँखें मिचमिचाते हुए देखा राक्षस के शरीर का रंग पल पल बदल रहा था। उसका कालापन गायब हो चुका था और उसके जिस्म में ऊपर से नीचे तक रंगीन रोशनियां लहरा रही थीं। फिर धीरे धीरे उन रोशनियों की तीव्रता कम होकर इस लायक हो गयी कि सनी अपनी पूरी आँखें खोल सका।
क्रमशः
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