मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-36
भाग-35 से लगातार.... इसका मतलब ये हुआ कि बाग़ में मौजूद तीनों प्राणी इस क्यूबिक समीकरण के तीन हल थे। और इस समीकरण को ज़ीरो करने के लिये यानि दरवाज़े को खोलने के लिये उनमें से एक को साथ लाना ज़रूरी था। लेकिन अगर सनी गलती से काल्पनिक मान को ले आता तो समीकरण रूपी संरचना के अन्दर जाते ही वह खुद भी काल्पनिक बन जाता और उसका वास्तविक दुनिया से हमेशा के लिये नाता टूट जाता। जबकि वास्तविक मान को साथ में लाकर वह दरवाज़ा भी खोल लेता और वास्तविक दुनिया में भी मौजूद रहता।
अब वह सोचने लगा कि उन तीनों में से कौन से दो मान काल्पनिक हो सकते हैं, थोड़ा दिमाग लगाने पर यह राज़ भी उसपर खुल गया। थोड़ी देर पहले नेहा ने उससे कहा था, ‘‘मुझे कौन कैद कर सकता है। उसे तो मेरा आभास भी नहीं हो सकता।’’
इसका मतलब कि नेहा एक काल्पनिक मान के रूप में यहाँ मौजूद थी। क्योंकि काल्पनिक मान का वास्तविक दुनिया में आभास नहीं होता। और अगर नेहा काल्पनिक थी तो उसकी माँ भी काल्पनिक थी। वैसे भी दोनों का इस दुनिया में मौजूद रहना अक्ल से परे था। क्योंकि वह खुद तो सम्राट द्वारा वहाँ लाया गया था जबकि उन दोनों की वहाँ मौजूदगी का कोई कारण नहीं दिखाई देता था।
वह दोबारा उन तीनों की ओर बढ़ने लगा। नेहा और उसकी माँ मुस्कुराने लगीं क्योंकि दोनों को लग रहा था कि सनी उनके ही पास आ रहा है। जबकि राक्षस के चेहरे पर पहले की तरह वीभत्स मुस्कान सजी हुई थी।
सनी वहाँ पहुंचा और उसने राक्षस का हाथ थाम लिया।
‘‘सनी!’’ नेहा ने गुस्से में भरी एक चीख मारी जबकि उसकी माँ अपना आँचल आँखों पर रखकर सिसकियां लेने लगी। सनी का दिल एक पल को मचला लेकिन उसे इस वक्त अपने दिमाग से काम लेना था। राक्षस ने उसका हाथ थाम लिया और दरवाज़े की ओर बढ़ा।
‘‘रुक जा मेरे लाल। वह राक्षस तुझे खत्म कर देगा।’’ उसकी माँ ने पीछे से पुकार लगाई।
एक पल को सनी ठिठका। उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था। कहीं उसका डिसीज़न गलत तो नहीं। अगर ऐसा होता तो वह कहीं का नहीं रहता। फिर उसने अपने दिल को दिलासा दिया और माँ व नेहा की पुकार अनसुनी करके आगे बढ़ गया।
क्रमशः
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