मायावी गिनतियां. (रोचक कथा) (जीशान जैदी) भाग-28


मायावी गिनतियां.  (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-28
भाग-27 से लगातार....

वह, वहीं ज़मीन पर बैठ गया और अगले कदम के बारे में ग़ौर करने लगा। उसके सामने दो रास्ते थे। या तो वापस जंगल की तरफ चला जाता या फिर उस कुएं में उतर जाता। लेकिन शायद जंगल में प्रवेश करने पर वह वहाँ जिंदगी भर भटकता रहा जाता, जबकि उस कुएं का दरवाज़ा इस मायावी दुनिया में आगे बढ़ने का शायद कोई नया रास्ता था। और इस तरह नये रास्ते की दरियाफ्त करते करते शायद वह एक दिन इस तिलिस्मी दुनिया से बाहर आने में कामयाब हो जाता।

उसे सम्राट का मैडम वान से कहा जुमला याद आ गया, ‘‘शायद तुम ये कहना चाहती हो कि अगर किसी ने एम-स्पेस पार कर लिया तो वह हमें हमेशा के लिये अपने को कण्ट्रोल में कर लेगा।’’ यानि अगर वह इस मायावी दुनिया यानि एम-स्पेस को पार करने में कामयाब हो जाता तो न सिर्फ खुद आज़ाद होता बल्कि सम्राट व उसके साथियों को भी सबक़ सिखा सकता था। अब तक की कामयाबियों ने उसके आत्मविश्वास में काफी बढ़ोत्तरी कर दी थी। उसने नीचे उतरने का निश्चय किया।

हाथ में पकड़े ज़ीरो को उसने दाँतों में दबाया और दीवार में बने सूराखों के सहारे वह नीचे उतरने लगा। यह चमकदार ज़ीरो काफी काम का है, इतना तो वह देख ही चुका था। जल्दी ही वह नीचे पहुंच गया। जिस जगह से वह रोशनी फूट रही थी, वह वास्तव में एक दरवाज़ा ही था। एक सुनहरे रंग का चमकता हुआ दरवाज़ा। रोशनी उसी चमक की थी।

उसने आगे बढ़कर दरवाज़े को धक्का दिया। दरवाज़ा आसानी से खुल गया। एक पल को वह अन्दर जाने से ठिठका। क्योंकि इससे पहले वह दरवाज़ें से अन्दर दाखिल होने का अंजाम भुगत चुका था। लेकिन फिर सारी आशंकाओं को किनारे फेंककर वह अन्दर दाखिल हो गया। अन्दर उसे एक बार फिर हैरतज़दा करने वाला नया मंज़र नज़र आया।

यह एक गोल कमरा था। जिसकी दीवारों पर हर तरफ बड़े बड़े टीवी स्क्रीन लगे हुए थे। और हर स्क्रीन पर पृथ्वी के किसी न किसी हिस्से का सीन नज़र आ रहा था। कहीं बर्फ से ढंके हिमालय के पहाड़ दिख रहे थे, कहीं ब्राज़ील के घने जंगल, कहीं टोकियो शहर की भरी पूरी सड़क का ट्रैफिक तो कहीं भारत के किसी भरे बाज़ार का सीन दिखाई दे रहा था। लेकिन उन सब से भी ज़्यादा आश्चर्यजनक कमरे के बीचों बीच रखी छोटी सी गोल मेज़ थी, जिसपर किसी बहुत बूढ़े व्यक्ति की कटी हुई गर्दन रखी थी। उसके लंबे सफेद बाल मेज़ पर फैले हुए थे। गर्दन हालांकि दिखने में ताज़ी थी लेकिन इसके बावजूद उसके आसपास कहीं खून गिरा नहीं दिखाई दे रहा था।

क्रमशः

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