मायावी गिनतियां. (रोचक कथा) (जीशान जैदी) भाग-37


मायावी गिनतियां.  (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-37
भाग-36 से लगातार....

अब वह उस संरचना के ठीक आगे पहुंच चुका था। उसने घूमकर देखा माँ और नेहा दोनों ही उसे तेज़ी से हाथ हिला हिलाकर बुला रही थीं। उसने राक्षस की ओर देखा।

‘‘अभी मौका है तुम्हारे पास। वापस भी जा सकते हो तुम।’’ राक्षस ने डरावनी आवाज़ में कहा।

‘‘नहीं। मैंने तय कर लिया है। वापस नहीं जाऊंगा।’’ सनी ने दृढ़ता के साथ कहा। उसके इतना कहते ही राक्षस ने उस समीकरण रूपी संरचना पर हाथ रख दिया। दूसरे ही पल उस क्यूब का आगे का हिस्सा गायब हो गया और राक्षस उसे लेकर अन्दर प्रवेश कर गया।

जैसे ही दोनों अन्दर पहुंचे आगे का हिस्सा फिर बराबर हो गया। सनी ने देखा कि आगे का हिस्सा साफ शीशे की तरह बाहर बाग़ का दृश्य दिखा रहा था। जहाँ नेहा और उसकी माँ दोनों का जिस्म धीरे धीरे पारदर्शी हो रहा था। और फिर दोनों के जिस्म बिल्कुल ही दिखना बन्द हो गये।

सनी ने एक गहरी साँस ली और बड़बड़ाया, ‘‘इसका मतलब कि मेरा अंदाज़ा सही था।’’

‘‘अगर तुम उन दोनों में से किसी के साथ आते तो तुम भी उन्हीं की तरह गायब हो जाते हमेशा के लिये।’’ राक्षस ने कहा।

‘‘उस सिर ने ठीक कहा था कि होशियार रहना क्योंकि आगे का रास्ता ज़्यादा मुश्किल है। इससे पहले तो सिर्फ शारीरिक कष्ट ही झेलना पड़ता था। लेकिन इस बार तो दिमाग़ की भी चूलें हिल गयीं।’’ सनी ने एक गहरी साँस ली और इधर उधर देखने लगा।

फिर उसे एहसास हुआ कि वह एक ऐसे बक्से में मौजूद है, जिससे बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं। सामने शीशे की दीवार से सामने बाग़ का मंज़र दिखाई दे रहा था जबकि बाकी तीन तरफ की दीवारें, छत और फर्श सभी स्टील की मोटी चादर के बने मालूम हो रहे थे।

‘‘कहीं तुमने मुझे कैद में लाकर तो नहीं फंसा दिया है?’’ सनी ने उस राक्षस को घूर कर देखा।

‘‘तुमने ऐसा क्यों सोचा?’’ राक्षस के चेहरे पर हमेशा की तरह यान्त्रिक मुस्कुराहट बनी हुई थी।

‘‘अगर मैं कैद में नहीं हूं तो आगे बढ़ने का रास्ता किधर है?’’

‘‘इस समय तुम जिस कमरे में हो, यही कमरा तुम्हें आगे ले जायेगा।’’

‘‘वह कैसे? यह तो शायद अपनी जगह पर जाम है।’’ सनी ने उसकी ओर बेयकीनी से देखा।

‘‘मैं ठीक कह रहा हूं। लेकिन इसके लिये तुम्हें अपना ज़ीरो मुझे सौंपना होगा।’’ राक्षस ने उसकी ओर हाथ फैलाया।

सनी एक बार फिर ज़हनी कशमकश में फंस गया। उस ज़ीरो ने कई बार उसकी मदद की थी। फिर उसे वह उस राक्षस को कैसे सौंप देता। शायद राक्षस ने अभी तक इसीलिए उसे नुकसान नहीं पहुंचाया था क्योंकि वह करिश्माई ज़ीरो उसके हाथ में था। लेकिन ज़ीरो को अपने से अलग करते ही वह ज़रूर किसी न किसी नयी मुसीबत में फंस जाता।

क्रमशः

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