मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-49
भाग-48 से लगातार.... फिर उन्होंने देखा आसमान से एक सिंहासन उतर रहा है। और उस सिंहासन पर सनी बना सम्राट विराजमान था। पब्लिक की जय जयकारों की आवाज़ें और तेज़ हो गयीं। सम्राट का सिंहासन चबूतरे पर उतर गया। और वह शान से सामने आकर पब्लिक को दोनों हाथ उठाकर शांत करने लगा। पब्लिक उसके प्रवचन को सुनने के लिये पूरी तरह शांत हो गयी।
सनी बने सम्राट ने कहना शुरू किया, ‘‘मेरे भक्तों, तुमने मुझे ईश्वर मान लिया है। अतः तुम्हें मैं इसका पुरस्कार अवश्य दूंगा। अभी और इसी समय।’’
‘‘भगवान, लेकिन मैंने तो सुना है कि ईश्वर भक्तों को उनका पुरस्कार मरने के बाद देते हैं।’’ एक जिज्ञासू भक्त बोल उठा।
‘‘यह उस समय होता है, जब ईश्वर का अवतरण नहीं होता। अब ईश्वर का अवतरण हो चुका है अतः पुरस्कार भी अवतरित होगा।’’
‘‘वह पुरस्कार किस प्रकार का होगा भगवान?’’ एक भक्त ने भाव विह्वल होकर पूछा।
‘‘अभी थोड़ी देर में यहाँ पर हीरे मोतियों की बारिश होगी। और वह हीरे मोती केवल मेरे भक्तों के लिये होंगे।’’ सम्राट की बात सुनकर लोगों की नज़रें फौरन आसमान की ओर उठ गयीं। कुछ अक्लमंद भक्तों ने अपने सिर पर कपड़े व बैग भी रख लिये। अगर बड़े हीरों की बारिश हुई तो उनकी खोपड़ी फूट भी सकती थी।
सम्राट ने अपना हाथ हवा में लहराया मानो वह हीरे मोतियों की बारिश करने के लिये कोई मन्त्र पढ़ रहा हो। लोगों ने देखा कि आसमान में चमकदार बादल छाने लगे थे। शायद यही बादल हीरे मोतियों से भरे थे। फिर थोड़ी देर बाद बारिश शुरू हो गयी।
लेकिन यह क्या? इस बारिश में हीरे मोतियों का तो कहीं अता पता नहीं था। बल्कि यह गंदे बदबूदार पानी की बारिश थी, जिसमें साथ साथ मोटे मोटे कीड़े भी टपक रहे थे। वहाँ खलबली मच गयी। लोग बुरी तरह चीखने लगे। कुछ महिलाएं तो सुबह नाश्ते में जो कुछ खा पीकर आयी थीं, वह वहीं उगलने लगीं।
‘‘भगवान ये सब क्या है?’’ कुछ भक्तों ने चीखकर पूछा। लेकिन भगवान खुद ही बदहवास हो चुके थे। ये माजरा उनकी समझ से भी बाहर था। सनी बने सम्राट के सामने चीख पुकार मची थी। लोग अपने ऊपर रेंगते कीड़ों को घिनघिनाते हुए फेंक रहे थे और किसी आड़ में जाने की कोशिश में भाग रहे थे। लेकिन उस मैदान में किसी आड़ का दूर दूर तक पता नहीं था।
‘‘भगवान.. भगवान! हमें इन बलाओं से बचाईए।’’ लोग हाथ जोड़ जोड़कर विनती कर रहे थे।
फिर सनी बने सम्राट ने चीखकर कहा, ‘‘आप लोग शांत रहें। शैतान ने मेरे काम में रुकावट डाली है। ये मुसीबत शैतान की लायी हुई है। उससे निपट कर मैं अभी वापस आता हूं।’’
वह फौरन अपने सिंहासन पर सवार हुआ और वहाँ से रफूचक्कर हो गया। मैदान में पहले की तरह अफरातफरी मची थी।
क्रमशः
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