मायावी गिनतियां. (रोचक कथा) (जीशान जैदी) भाग-32


मायावी गिनतियां.  (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-32
भाग-31 से लगातार....

कमरे का मौसम अचानक बदल गया था। ठंडी ठंडी हवाएं चलने लगी थीं। और उसे कुछ ऐसी ही महक महसूस हो रही थी जैसे बारिश के मौसम में पहली बारिश के ठीक बाद होती है। उसे लग रहा था जैसे वह किसी बाग़ में बैठा हुआ है और मौसम की पहली बारिश शुरू हो गयी है।

बादल इतने घने हो गये थे कि उसे कमरे की दीवारें और उनपर लगे टीवी स्क्रीन मुश्किल से ही नज़र आ रहे थे। फिर वह दीवारें दिखाई देना बिल्कुल ही बन्द हो गयीं। अब तो उसका पूरा शरीर भी बादलों में छुप गया था। लगभग दस मिनट तक वह बादल उसे घेरे रहे, फिर एकाएक वह सभी बादल गायब हो गये। लेकिन अब वह कमरा भी नज़र नहीं आ रहा था जिसमें वह मौजूद था।

बल्कि यह तो बहुत ही खूबसूरत एक बाग़ था जिसमें तरह तरह के फल लगे हुए थे। थोड़ी दूर पर एक तालाब भी था। और वह खुद उस बाग़ में पड़े एक झूले पर विराजमान था। अचानक उसे लगा कि उस बाग़ में उसके अलावा कोई और भी है। क्योंकि उसे अपने पीछे हल्की सी आहट महसूस हुई थी। उसने घूमकर देखा तो एक और झूला नज़र आया। और उस झूले पर कोई लड़की बैठी हुई हौले हौले झूल रही थी। उस लड़की की पीठ सनी की तरफ थी।

सनी ने सुकून की एक साँस ली। क्योंकि पहली बार एम-स्पेस में कोई सही सलामत इंसान नज़र आया था। वह जल्दी से अपने झूले से नीचे कूद गया और उस लड़की की तरफ बढ़ा। उसी वक्त लड़की भी उसकी आहट महसूस करके उसकी ओर घूमी और उसका चेहरा देखते ही सनी की मुंह से हैरत से भरी हुई चीख निकल गयी।

वह लड़की नेहा थी। सनी बेसब्री से उसकी ओर बढ़ा।

‘‘नेहा! तुम तुम यहाँ?’’ नेहा कुछ नहीं बोली। एक मधुर मुस्कान के साथ वह बस उसकी तरफ देखे जा रही थी। दो तीन छलांगों में सनी उसके ठीक सामने पहुंच गया।

‘‘नेहा! तुम यहाँ एम-स्पेस में क्या कर रही हो?’’

‘‘मैं तुम्हें यहाँ से बाहर निकालने आयी हूं। चलो मेरे साथ।’’ उसने जवाब दिया। और झूले से नीचे कूद गयी।

‘‘लेकिन तुम यहाँ पहुंचीं कैसे? क्या सम्राट ने तुम्हें भी कैद कर दिया?’’

‘‘मुझे कौन कैद कर सकता है। उसे तो मेरा आभास भी नहीं हो सकता।’’ नेहा ने आसमान की तरफ देखते हुए कहा।

‘‘समझा यानि तुम्हारे पास भी कोई अनोखी शक्ति आ चुकी है।’’ सनी ने अंदाज़ा लगाया।

‘‘अब बातों में वक्त न बरबाद करो और मेरे साथ आओ। हमें यहाँ से बाहर निकलना है।’’ वह आगे बढ़ गयी। सनी भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा। उसे लग रहा था कि भगवान ने नेहा के रूप में उसके पास मदद भेजी है। लेकिन नेहा यहाँ तक पहुंची कैसे यह सवाल किसी पहेली से कम नहीं था।

जल्दी ही वे बाग़ के किनारे पहुंच गये जहाँ सामने एक ऊंची बाउण्ड्री वाल नज़र आ रही थी।

‘‘आगे तो रास्ता ही बन्द है। भला इस ऊंची दीवार को कौन पार कर पायेगा।’’ सनी बड़बड़ाया।

‘‘दीवार के बीच में एक दरवाज़ा भी है। वह देखो उधर।’’ नेहा ने जिस तरफ इशारा किया था जब उधर सनी ने नज़र की तो अजीबोगरीब संरचना दिखाई दी। ये संरचना नीचे से ठोस घनाकार थी और सफेद संगमरमर जैसे किसी पत्थर की बनी हुई थी। वह घन दीवार में फिट था और आगे की ओर निकला हुआ था। उस घन के ऊपर एक काले रंग का वर्ग बना हुआ था। फिर उस वर्ग के ऊपर भी सफेद रंग की छड़ निकल कर और ऊपर गई हुई थी, और उस छड़ के ऊपर काले रंग से 1 लिखा हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा था।

उस संरचना से सफेद रंग की अलग ही रोशनी निकल रही थी, जो बाग़ में फैली रोशनी से थोड़ी अलग थी और उस संरचना को स्पष्ट देखने में मदद कर रही थी। लेकिन नेहा ने जो कहा था कि वहाँ पर एक दरवाज़ा है, तो ऐसे दरवाज़े का कहीं दूर दूर तक पता नहीं था।

क्रमशः

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