मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-35
भाग-34 से लगातार.... यानि सनी के पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था कि वह उन तीनों में से किसी एक को साथ लेकर आता। लेकिन किसको? उन तीनों की आपसी सिर फुटव्वल से यही ज़ाहिर हो रहा था कि उनमें से दो गलत हैं और एक ही सही है। गलत का साथ पकड़ने का मतलब था कि वह हमेशा के लिये किसी अंजान जगह पर कैद हो जाता।
लेकिन उनमें सही कौन था, इसे ढूंढ़ना टेढ़ी खीर था। वह वहीं ज़मीन पर बैठ गया और इस नयी पहेली को सुलझाने की कोशिश करने लगा। लेकिन बहुत देर सिर खपाने के बाद भी इस पहेली का कोई हल, उसे समझ में नहीं आया। एक तरफ नेहा थी, उसकी स्कूल की दोस्त। जिसने अक्सर मैथ के सवाल हल करने में उसकी मदद की थी। और उससे पूरी हमदर्दी रखती थी। दूसरी तरफ माँ थी, जिसने उसे जन्म दिया था, उसकी हमेशा हर ख्वाहिश को पूरा किया था और जब जब वह किसी मुश्किल में पड़ा तो उसकी माँ ने आसानी से उसे उस मुश्किल से उबार लिया। फिर तीसरा वह राक्षस था, जो खुद ही कोई नयी मुसीबत मालूम हो रहा था। लेकिन इस मायावी दुनिया का कोई भरोसा नहीं। वही वास्तविक मददगार भी हो सकता था।
बहुत देर सिर खपाने के बाद भी जब वह कोई नतीजे पर नहीं पहुंच सका तो उसने अपने सामने मौजूद संरचना पर दृष्टि की और सोचने लगा कि आखिर इस तरह की संरचना क्या सोचकर बनायी गयी। एकाएक उसकी अक्ल का बल्ब रोशन हो गया। उसे अफसोस हुआ कि उसने इस संरचना पर पहले गौर क्यों नहीं किया। यह संरचना तो खुद ही सही मददगार की ओर इशारा कर रही थी।
दरअसल यह संरचना एक गणितीय समीकरण को बता रही थी। वह समीकरण क्यूबिक इक्वेशन थी। अगर उस अज्ञात दरवाज़े को एक्स माना जाता तो नीचे का सफेद क्यूब पाज़िटिव एक्स क्यूब बना। फिर उसके ऊपर काला स्क्वायर निगेटिव एक्स स्क्वायर हो गया। उसके ऊपर सफेद छड़ पाज़िटिव एक्स को बता रही थी और फिर सबसे ऊपर निगेटिव वन था। इस तरह यह क्यूबिक समीकरण मुकम्मल हो रही थी। अब जहाँ तक सनी को जानकारी थी कि इस क्यूबिक समीकरण के दो हल तो काल्पनिक मान रखते हैं और एक ही हल वास्तविक होता है और इस वास्तविक हल का मान वन के बराबर होता है।
क्रमशः
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें