मायावी गिनतियां. (रोचक कथा) (जीशान जैदी) भाग-15


मायावी गिनतियां.  (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-15
भाग-14 से लगातार....

उसने देखा, न तो प्लेटफार्म और न ही ट्राली के ऊपर कोई छत जैसी संरचना थी। जो उस बारिश से बचाने वाली होती। फिर उसके दिमाग में एक विचार आया और वह दौड़कर ट्राली पर चढ़ गया। उसके चढ़ते ही ट्राली तेज़ गति से ट्रैक पर भागने लगी। उसने देखा सामने दो इंडिकेटर मौजूद हैं। पहला इंडिकेटर ट्राली की गति को बता रहा था, सौ किलोमीटर प्रति मिनट। जबकि दूसरा इंडिकेटर समय को बता रहा था। उसके फेफड़ों से इत्मिनान की एक गहरी साँस निकली। इस स्पीड से तो ट्राली दो मिनट में ही दो सौ किलोमीटर का रास्ता तय कर लेती। उसने खुश होकर कोई गीत गुनगुनाना शुरू कर दिया। ये अलग बात है कि मुंह से केवल बंदर की खौं खौं ही निकल कर रह गयी। झल्लाकर उसने गाना बन्द कर दिया। और ट्राली के इंडिकेटर को देखने लगा। समय बताने वाले इंडिकेटर ने एक मिनट पूरा किया, और उसी समय ट्राली को एक झटका लगा। उसने चौंक कर देखा, अब ट्राली की स्पीड सौ से कम होकर पचास हो गयी थी।

‘कोई बात नहीं। दो मिनट न सही, तीन मिनट में तो ट्राली दो सौ किलोमीटर के दायरे से निकल ही जायेगी। तब भी सात मिनट रह जायेंगे।’ उसने अपने लड़खड़ाते दिल को संभाला। और आसमान की ओर देखा जहाँ अब अजीब से बादल छाने लगे थे। ये बादल पूरी तरह सुर्ख थे और शायद यही तेज़ाबी बारिश लाने वाले थे।

एक मिनट और बीता, और ट्राली को फिर एक झटका लगा। अब इंडिकेटर उसकी स्पीड पच्चीस किलोमीटर प्रति मिनट ही बता रहा था। अचानक एक विचार ने उसके दिल की धड़कनें फिर बढ़ा दीं। यानि हर मिनट ट्राली की स्पीड कम होकर आधी होती जा रही थी। इसका मतलब कि, वह मन ही मन कैलकुलेट करने लगा कि अगर इसी तरह हर मिनट ट्राली की स्पीड आधी होती रही तो दो सौ मीटर दूर जाने में उसे कितना समय लगेगा। गणित में हमेशा फिसड्डी रहने वाला उसका दिमाग इस समय अपने को मुसीबत से घिरा देखकर बिजली की रफ्तार से चलने लगा था। जब उसने अपनी कैलकुलेशन का रिज़ल्ट देखा तो उसके होश उड़ गये। इस तरह तो अनंत समय तक चलने के बाद भी ट्राली कभी भी दो सौ मीटर के दायरे को पार नहीं कर सकती थी।

क्रमशः

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