मायावी गिनतियां. (रोचक कथा) (जीशान जैदी) भाग-5


मायावी गिनतियां.  (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-5     

भाग-4 से लगातार.

स्कूल के इनडोर स्टेडियम के एक कोने में तीनों की तिकड़ी सर झुकायें खड़ी हुई थी। तीनों में शामिल थे - गगन, अमित और सुहेल।

‘‘ये सनी का बच्चा तो हमारे लिए सिरदर्द बन गया है। समझ में नहीं आता उसकी गणित एकाएक इतनी मजबूत कैसे हो गयी।’’ अमित अपना सर खुजलाते हुए बोला।

‘‘कल क्लास की जो लड़कियां हमारे सामने गिड़गिड़ाया करती थीं, आज उसके आगे पीछे फिर रही हैं।’’

‘‘उसमें तुम्हारी खास गर्ल फ्रेन्ड भी है-गगन। मैंने नेहा को अपनी आँखों से सनी के साथ चाउमिन खाते देखा है।’’

‘‘अब मैं उस कमबख्त की गर्दन तोड़ दूँगा।’’ गुस्से में बोला गगन।

‘‘बी कूल गगन।’’ अमित ने उसके कंधे पर हाथ रखा।

‘‘उसका बाप डाक्टर है। कहीं ऐसा तो नहीं उसने अपने सुपुत्र के भेजे में आपरेशन करके मैथ के फार्मूले फिट कर दिये हों।’’

‘‘दुनिया के किसी डाक्टर में अभी इतना दम नहीं है।’’ अमित ने सुहेल की थ्योरी रिजेक्ट कर दी।

‘‘अग्रवाल सर भी उससे बुरी तरह खफा हैं। एक तो वह उनसे ट्यूशन नहीं पढ़ता। और हम लोग जो सर के रेगुलर स्टूडेन्ट हैं, उन्हें वह नीचा दिखा रहा है।’’

‘‘हम लोगों को अग्रवाल सर से डिसकस करना चाहिए। वह जरूर सनी की गणित का कोई न कोई तोड़ निकाल लेंगे।’’

‘‘तुम ठीक कहते हो अमित। चलो चलते हैं।’’ तीनों वहाँ से चल दिये।

जबकि बंदर बने सनी की जान सांसत में थी। सामने मौजूद विशालकाय साँप उसे गटकने के लिए तैयार खड़ा था। उसने बचाव बचाव कहने के लिए मुँह खोला। लेकिन मुँह से बंदरों जैसी खों खों निकल कर रह गयी।

साँप ने उसके ऊपर एक झपट्टा मारा और वह जल्दी से परे हो गया। इस चक्कर में उसके हाथ से डाल छूट गयी। और वह धड़ाक से नीचे चला आया। लेकिन नीचे उसे जरा भी चोट नहीं आयी। क्योंकि वह किसी जानवर की पीठ पर गिरा था। अब जो उसने घूमकर जानवर का चेहरा देखा तो उसकी रूह फना हो गयी। क्योंकि वह जानवर जंगली सुअर था।

जंगली सुअर भी अचानक आयी इस आफत से घबरा गया और सरपट नाक की सीध में दौड़ लगा दी। बड़ी मुश्किल से सनी उसकी पीठ पर बैलेंस कर पा रहा था।

फिर सुअर एक झाड़ी में घुस गया और सनी को नानी याद आ गयी। क्योंकि कंटीली झाड़ियों ने उसके पूरे जिस्म को छेदना शुरू कर दिया था। फिर उसके हाथ में एक मजबूत पौधा आ गया और वह उसे थामकर लटक गया। सुअर आगे भागता चला गया।

‘‘हाय हाय कहाँ फंस गया मैं। इससे अच्छा तो गणित ही पढ़ता रहता मैं।’’ कराहते हुए सनी सोच रहा था। फिर उसने इरादा किया शहर वापस लौटने का।

क्रमशः....

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