मायावी गिनतियां. (रोचक कथा) (जीशान जैदी) भाग-18


मायावी गिनतियां.  (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-18
भाग-17 से लगातार....

फिर उस बन्दर ने जल्दी जल्दी उस फल को खाना शुरू कर दिया और साथ ही सनी को इस तरह देखता भी जा रहा था, जैसे ठेंगा दिखा रहा हो। सनी ने तय किया कि उसे सबक सिखाये और इसके लिये उसने किसी मज़बूत डण्डे की तलाश में इधर उधर नज़रें दौड़ायीं। लेकिन उसी वक्त उसने देखा कि बन्दर अपना पेट पकड़कर तड़पने लगा था। फिर तड़पते तड़पते वह ज़मीन पर गिर गया और कुछ ही पलों में वह ठण्डा हो चुका था। सनी जल्दी से उसके पास पहुंचा और हिला डुलाकर देखने लगा। लेकिन उसे यह देखकर निराशा हुई कि बन्दर मर चुका था। इसका मतलब कि फलों की वार्निंग सही थी। वे वाक़ई ज़हरीले थे।

अगर वह उस फल को खा लेता तो? वह अपने अंजाम को सोचकर काँप गया। उसने तय कर लिया कि वह वहाँ की कोई चीज़ नहीं खायेगा। लेकिन कब तक? भूख उसकी आँतों में ऐंठन पैदा कर रही थी। अगर वह कुछ नहीं खाता तो भले ही कुछ समय तक जिंदा रह जाता लेकिन ज़्यादा समय तक तो नहीं।

अचानक उसके दिल में फिर उम्मीद की किरण जागी। जैसा कि सम्राट ने कहा था कि इस दुनिया में हर तरफ गणितीय पहेलियां बिखरी हुई हैं। और उन्हें हल करके सलामती की उम्मीद की जा सकती है। तो इन ज़हरीले फलों के बीच जीवन देने वाले फल भी मौजूद होने चाहिए जो शायद किसी गणितीय पहेली को हल करने पर मिल जायें।

यह विचार दिमाग में आते ही वह उठ खड़ा हुआ और पेड़ों पर लदे फलों पर गौर करने लगा। यहाँ पर जिंदगी और मौत का सवाल था। अतः उसका दिमाग अपनी पूरी क्षमता झोंक रहा था। इसके नतीजे में जल्दी ही वह एक नतीजे पर पहुंच गया। उसने देखा कि एक पेड़ पर फलों के जितने भी गुच्छे लगे हुए थे, उनमें फलों की संख्या निश्चित थी।

जिस पेड़ के नीचे वह खड़ा था उसमें हर गुच्छे में पाँच पाँच फल लगे हुए थे। जबकि उसके पड़ोसी पेड़ में सात सात फलों के गुच्छे थे। उसने आसपास के सारे पेड़ देख डाले। किसी में हर गुच्छे में पाँच फल थे, किसी में दो, किसी में तीन तो किसी में सात फल थे। कहीं कहीं ग्यारह फल भी दिखाई दिये। उसने इन गिनतियों को वहीं कच्ची ज़मीन पर एक डंडी की सहायता से लिख लिया और उनपर गौर करने लगा। जल्दी ही ये तथ्य उसके सामने ज़ाहिर हो गया कि ये सभी संख्याएं अभाज्य थीं। यानि किसी दूसरी संख्या से विभाजित नहीं होती थीं। तो अगर कोई गुच्छे के फल को तोड़ता तो वह एक अभाज्य संख्या को विभाजित करने की कोशिश करता जो की असंभव था। इसीलिए फलों का ज़हर उसका काम तमाम कर देता।

क्रमशः

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