मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-१
टन टन टन!’ स्कूल की घण्टी तीन बार बजी और सनी को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके दिल पर किसी ने तीन बार हथौड़े से वार कर दिया। चौथा पीरियड शुरू हो गया था और ये पीरियड उसे किसी राक्षस के भोजन की तरह लगता था। किसी तरह खत्म ही नहीं होता था। उसे गणित और गणित के अग्रवाल सर दोनों से चिढ़ थी। और चौथा पीरियड उन्हीं का होता था। सनी का पूरा नाम सुनील कुमार वर्मा था। लेकिन वह सनी नाम से ही विख्यात था।
उसने अपने मन को उम्मीद बंधाई कि शायद आज अग्रवाल सर न आये हों। किसी एक्सीडेन्ट में उनकी टांग टूट गयी हो। आजकल के ट्रेफिक का कोई भरोसा तो है नहीं।
लेकिन ट्रेफिक वाकई भरोसेमन्द नहीं है। क्योंकि अग्रवाल सर अपनी दोनों टांगों की पूरी मजबूती के साथ क्लास में दाखिल हो रहे थे। चेहरे पर चढ़ा मोटा चश्मा उन्हें और खुंखार बना रहा था।
आने के साथ ही उन्होंने बोर्ड पर दो रेखाएं खींच दीं और एक लड़के को खड़ा किया, ‘‘अनिल, तुम बताओ ये क्या है?’’
अनिल खड़ा हुआ, ‘‘सर, ये दो समान्तर रेखायें हैं।’’
‘‘शाबाश। बैठ जाओ। गगन, तुम समान्तर रेखाओं की कोई एक विशेषता बताओ।’’
‘‘सर, समान्तर रेखाएं आपस में कभी नहीं मिलतीं।’’ गगन ने तुरन्त जवाब दिया। उसकी गणित का लोहा तो अच्छे अच्छे मानते थे।
‘‘गुड। तुम भी बैठ जाओ। सनी, अब तुम खड़े हो।’’
‘‘लो, आ गयी शामत।’’ किसी तरह उसने अपनी टांगों पर जोर दिया। पूरी क्लास का सर उसकी तरफ घूम गया था।
‘‘बताओ, समान्तर रेखाएं आपस में क्यों नहीं मिलतीं?’’ अग्रवाल सर ने सवाल जड़ा और उसका दिमाग घूम गया। उन दोनों से तो इतने आसान सवाल और मुझसे इतना टेढ़ा।
‘‘सर, रेखाएं स्त्रीलिंग होती हैं। और स्त्रियों की विशेषता यही होती है कि वो आपस में मिल बैठकर नहीं रह सकतीं।’’ आखिरकार उसे एक धांसू जवाब सूझ ही गया।
दूसरे ही पल पूरी क्लास में एक ठहाका पड़ा और वह बौखला कर चारों तरफ देखने लगा। क्या उसके मुंह से कुछ गलत निकल गया था?
‘‘पूरी दुनिया सुधर जायेगी लेकिन तू नहीं सुधरेगा।’’ उसके बाद पूरे आधे घण्टे तक अग्रवाल सर ने उसका भेजा चबाया था।
सड़क पर पैडिल मारते हुए सनी आज कुछ ज्यादा ही विचलित था। उसे एहसास हो गया था कि गणित जीवन भर उसके पल्ले नहीं पड़ेगी। और गणित के बिना जीवन ही बेकार था। यही सबक रोज उसके माँ बाप और टीचर्स दिया करते थे।
सो उसने अपना जीवन समाप्त करने का निश्चय किया। उसके रास्ते में एक छोटा सा जंगल पड़ता था। उसके अंदर एक गहरा तालाब है, ये भी उसे पता था। उसने अपनी साइकिल सड़क से नीचे उतार दी। अब वह उस गहरे तालाब की ओर जा रहा था। चूंकि उसने तैरना सीखा नहीं था, इसलिए वह आसानी से डूबकर मर जायेगा, यही विचार आया उसके मन में।
जल्दी ही उसकी साइकिल तालाब के किनारे पहुंच गयी। उसने स्पीड तेज कर दी। वह साइकिल के साथ ही पानी में घुस जाना चाहता था।
अचानक उसे लगा, पीछे से किसी ने उसकी साइकिल रोक ली है। उसने घूमकर देखना चाहा, लेकिन उसी समय उसकी गर्दन भी किसी ने पकड़ ली। कोई उसकी गर्दन दबा रहा था। धीरे धीरे उस पर बेहोशी छा गयी।
इस छोटे से कमरे में तेज नीली रोशनी फैली हुई थी। इस रोशनी में चार बच्चे आसपास खड़े हुए किसी गंभीर चिंतन में डूबे थे। पास से देखने पर राज़ खुलता था कि ये दरअसल बच्चे नहीं, बौने प्राणी हैं। क्योंकि इनके चेहरे पर दाढ़ी मूंछें भी मौजूद थीं। इनके शरीर का गहरा पीला रंग सूचक था कि ये प्राणी इस धरती के अर्थात पृथ्वीवासी तो नहीं हैं।
इसी कमरे के एक कोने में सनी मौजूद था। बेहोश अवस्था में। लेकिन कमरे की सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाली वस्तु थी, एक ताबूतनुमा शीशे का बक्सा। जिसके अंदर उन्ही चारों जैसा एक प्राणी निश्चल अवस्था में पड़ा हुआ था।
‘‘तो अब क्या इरादा है मि0 रोमियो?’’ उन चारों में से एक ने वातावरण में छायी निस्तब्धता तोड़ी।
‘‘हमें अपने सम्राट को किसी भी कीमत पर बचाना है। वरना पृथ्वी नाम के इस अंजान ग्रह पर हम ज्यादा समय तक जिन्दा नहीं रह पायेंगे।’’
‘‘सारी गलती हमारे यान के आटोपायलट की थी। यहां के वायुमंडल में उतरते हुए उसने यान को पूरी तरह असंतुलित कर दिया। नतीजे में हमारे सम्राट का शरीर लगभग पूरा ही नष्ट हो गया।’’ तीसरा व्यक्ति बोला।
‘‘ठीक कहते हो सिलवासा। अब हमारे सम्राट के शरीर में केवल उसका मस्तिष्क ही सही सलामत बचा है। और अगर हमने देर की तो वह भी नष्ट हो जायेगा। क्यों रोमियो?’’ पहले वाला बोला।
‘‘हाँ डोव। अब आगे मैडम वान को अपना हुनर दिखाना है। उन्हें जल्द से जल्द सम्राट का दिमाग उस लड़के के शरीर में ट्रांस्प्लांट कर देना है, जिसे हम जंगल में तालाब के किनारे से पकड़ कर लाये हैं।’’
‘‘ठीक है।’’ तीसरा व्यक्ति जो दरअसल मैडम डोव थी, बोल उठी। और फिर वे सब अपने अपने काम में जुट गये। सनी को ताबूत के बगल में लिटा दिया गया था। फिर वे मस्तिष्क ट्रांस्प्लांट के आपरेशन में जुट गये। एक तरफ सनी का सर खोला जा रहा था और दूसरी तरफ सम्राट का।
ये आपरेशन पूरे एक घण्टे तक चलता रहा। और फिर थोड़ी देर बाद सम्राट का दिमाग सनी के शरीर में स्थापित हो चुका था। जबकि सनी का दिमाग अलग एक ट्रे में नजर आ रहा था।
‘‘अब पूरा हो गया है आपरेशन। हम लड़के के दिमाग को अब नष्ट कर देते हैं।’’ मैडम वान ने सनी के शरीर को अच्छी तरह टेस्ट करने के बाद कहा।
‘‘मेरे दिमाग में एक आईडिया आया है।’’ खिड़की से बाहर डाल पर बैठे बन्दर की ओर देखते हुए कहा रोमियो ने।
‘‘कैसा आईडिया?’’ सिलवासा ने पूछा।
‘‘इस दिमाग को उस बन्दर में फिट करके जंगल में छोड़ देते हैं। अगर होश में आने के बाद सम्राट के दिमाग ने इस शरीर को कुबूल नहीं किया तो एक मनुष्य का दिमाग बेकार में नष्ट हो जायेगा।’’
‘‘ठीक कहते हो रोमियो।’’ डोव ने सहमति जताई, और छोटी सी पिस्टल निकालकर बन्दर की तरफ तान दी। उसे बेहोश करने के लिए।
क्रमश:
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