मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-52
भाग-51 से लगातार.... ‘‘हाँ सनी बेटे। मैं तो तुम्हें भगवान समझकर कुछ माँगने आया था। मुझे क्या पता था कि यहाँ मुझे मायूसी हाथ लगेगी।’’ अग्रवाल सर के जुमले में गहरी मायूसी झलक रही थी।
‘‘सर, मैं भगवान तो नहीं लेकिन अपनी समस्या मुझे ज़रूर बताईए। हो सकता है मैं कुछ कर सकूं।’’
‘‘बेटे। स्कूल की प्रिंसिपल मुझे निकालकर किसी और को मैथ के टीचर रखना चाहती है।’’ बड़ी मुश्किल से भर्राये गले से अग्रवाल सर ने अपनी बात पूरी की।
‘‘ऐसा हरगिज़ नहीं होगा।’’ सनी ने दृढ़ता से कहा, ‘‘मेरे मैथ के टीचर आप ही रहेंगे। मैं जाकर खुद प्रिंसिपल मैडम से बात करूंगा।
सनी ने देखा अग्रवाल सर की आँखें सागर की तरह लबालब भर गयी थीं। फिर बिना कुछ बोले अग्रवाल सर ने उसे गले से लगा लिया। गले लगते ही सनी की आँखें भी बरस पड़ी थीं।
=समाप्त=
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