मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-30
भाग-29 से लगातार.... ‘लेकिन रास्ता यकीनन है, यहाँ पर।’ सनी ने अपने मन में कहा। और उस गुप्त रास्ते का सम्बन्ध या तो मेज़ से है या फिर टीवी स्क्रीनों से। इन दोनों के अलावा और कोई वस्तु तो यहाँ पर है नहीं।’
उसने मेज़ से शुरूआत करने का इरादा किया। पहले उसने मेज़ को हिलाने की कोशिश की। लेकिन वह फर्श से जड़ी हुई थी, अतः टस से मस नहीं हुई। मेज़ को किसी भी तरह हिलाने डुलाने की उसकी कोशिश नाकाम रही। उसने हाथ में पकड़े करिश्मायी ज़ीरो से भी मेज़ को टच किया लेकिन कुछ नहीं हुआ। फिर उसने फर्श को भी जगह जगह अपने ज़ीरो से टच करके देखा लेकिन कहीं कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने टीवी स्क्रीनों के आसपास कोई स्विच ढूंढने की कोशिश की लेकिन उसकी ये कोशिश भी कामयाब न हो सकी।
थक हार कर वह वहीं फर्श पर बैठ गया। और स्क्रीन पर पल पल बदलते दृश्यों को देखने लगा। कुछ देर उन दृश्यों को देखने के बाद उसपर एक नया रहस्योद्घाटन हुआ। टीवी स्क्रीन थोड़ी देर विभिन्न दृश्य दिखाने के बाद एक सेकंड के लिये बन्द हो जाती थी।
वहाँ पर कुल पाँच टीवी स्क्रीनें उस गोलाकार दीवार पर एक के बाद एक मौजूद थीं और सभी में यह बात दिखाई दे रही थी। हालांकि उनके बन्द होने का वक्त अलग अलग था।
‘लगता है इनके बन्द होने के वक्त में ही कोई गणितीय पहेली मौजूद है।’ ऐसा सोचकर उसने एक स्क्रीन पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। जब उसने मन ही मन हिसाब लगाया तो उसे अंदाज़ा हुआ कि हर पाँच सेकंड के बाद ये स्क्रीन बन्द हो जाती थी। फिर उसने दूसरी स्क्रीन को देखा तो मालूम हुआ कि छः सेंकड बाद वह स्क्रीन बन्द होती थी। तीसरी स्क्रीन दस सेंकड बाद बन्द हो रही थी जबकि चौथी बारह सेकंड बाद। सबसे ज़्यादा देर पाँचवीं स्क्रीन में लग रही थी। वह पद्रह सेंकड बाद बन्द हो रही थी।
क्या इन गिनतियों में कोई सम्बन्ध है? थोड़ी देर विचार करने के बाद उसे इसका जवाब न में मिला। इन गिनतियों में न तो कोई खास क्रम था और न ही कोई सम्बन्ध। फिर उसने एक बात और सोची।
‘वह कौन सी सबसे छोटी संख्या है, जिसे ये सभी संख्याएं विभाजित कर देती हैं? इसे निकालना आसान था; क्योंकि अग्रवाल सर ने क्लास में एल.सी.एम. निकालना काफी अच्छी तरह समझाया था। थोड़ी देर की गणना के बाद उसे मालूम हो गया कि यह संख्या साठ है।
क्रमशः
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें