मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-43
भाग-42 से लगातार.... सनी को मालूम हो चुका था कि ढक्कन लगाने का सही समय क्या है। उसने यह क्रिया सभी खड़ी लाइनों के साथ दोहरायी और जल्दी ही सूराखों से मच्छरों का निकलना पूरी तरह बन्द हो गया।
‘‘वो मारा।’’ फरिश्ता खुशी से चीखा। लेकिन उनकी ये खुशी ज़्यादा देर कायम न रह सकी। क्योंकि अब वह दीवार बुरी तरह हिल रही थी जिसके सूराख बन्द किये गये थे।
‘‘य...ये क्या हो रहा है?’’ सनी घबराकर बोला।
‘‘लगता है अब सारे मच्छर दीवार गिराकर बाहर आना चाहते हैं।’’ फरिश्ता भी घबराकर बोला। अगर ऐसा हो जाता तो दोनों के लिये बचना नामुमकिन था। लेकिन फिलहाल उन दोनों को गिरती हुई दीवार से बचना था। अतः वे कई कदम पीछे हट गये।
फिर एक धमाके के साथ दीवार नीचे आ गयी। लेकिन ये देखकर उन्होंने इत्मिनान का साँस ली कि दीवार के पीछे कोई भी मच्छर नहीं था, बल्कि वहाँ एक और कमरा दिखायी दे रहा था। उस कमरे में हर तरफ लाल रंग की लेसर जैसी किरणें फैली हुई थीं। उसकी रोशनी में उन्होंने देखा कि कमरे के दूसरे सिरे पर एक बन्द संदूक़ मौजूद है।
‘‘वो संदूक कैसा है?’’ फरिश्ते ने ही उसकी ओर उंगली से इशारा किया।
‘‘बचपन में दादी ने कुछ कहानियां सुनाई थीं। जिसमें किसी खज़ाने की रक्षा के लिये इस तरह के तिलिस्म बनाये जाते थे। और उन्हें सख्त सुरक्षा में रखा जाता था। जिस तरह यहाँ खतरनाक टाइप के मच्छर घूम रहे थे, और जिस तरह यहाँ तक आने में रुकावटें पैदा हुईं, हो न हो उस संदूक़ में ज़रूर कोई खज़ाना है।’’
‘‘तो क्या मैं उस संदूक़ को उठा लाऊं?’’ फरिश्ते ने पूछा। सनी ने सहमति में सिर हिलाया। फरिश्ते ने एक छलांग लगायी और दूसरे कमरे में पहुंच गया। लेकिन जैसे ही वह उन लेसर टाइप किरणों से टकराया, उसके जिस्म में आग लग गयी और वह ज़ोरों से चीखा।
‘‘मुझे बचाओ मैं जला जा रहा हूं!’’
सनी ने भी चीख कर उसे आवाज़ लगायी। लेकिन उसके पास हाथ मलने के अलावा और कोई चारा नहीं था। देखते ही देखते वह फरिश्ता धूँ धूँ करके पूरा जल गया और वह बेबसी से उसे देखता रह गया। अब तो वहाँ उसकी राख भी नहीं दिख रही थी। सनी पछताने लगा। क्यों उसने बिना सोचे समझे संदूक लाने के लिये भेज दिया था। दूसरे कमरे में बिखरी हुई किरणें काफी खतरनाक थीं।
अपने सिर को दोनों हाथों से थामकर वह वहीं ज़मीन पर बैठ गया। जब वह राक्षस पहली बार मिला था तो सनी को उससे बहुत डर लगा था। लेकिन इतनी देर में वह सनी से इतना घुलमिल गया था और इतनी मदद की थी कि वह उसे अपना बहुत करीबी दोस्त मानने लगा था। और अब उस दोस्त की इस तरह जुदाई उससे सहन नहीं हो रही थी।
क्रमशः
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