मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-6
भाग-5 से लगातार.... ‘‘सुनिए, मैं आपसे कुछ ज़रूरी बात करना चाहती हूँ।’’ बिस्तर पर करवट लेते हुए मिसेज वर्मा ने मिस्टर वर्मा के कंधे को हिलाया।
‘‘अब सोने दो। मुझे नींद आ रही है।’’ मिस्टर वर्मा ने फौरन आँखें बन्द कर लीं।
‘‘आप तो हमेशा इधर बिस्तर पर पहुँचे और उधर अंटा गफील हो गये।’’ मिसेज वर्मा ने शिकायत की।
‘‘तो क्या तुम चाहती हो मुझे नींद न आने की बीमारी हो जाये?’’
‘‘बकवास मत करिये और मेरी बात सुनिए। मुझे सनी आजकल कुछ बदला बदला सा लगता है।’’
‘‘हाँ। मैं भी देख रहा हूँ। उसका रंग आजकल कुछ ज्यादा ही साँवला हो गया है।’’
‘‘मैं रंग की बात नहीं कर रही हूँ।’’ मिसेज वर्मा ने दाँत पीसे, ‘‘मुझे उसके व्यवहार में कुछ बदलाव लग रहा है। हर वक्त खोया खोया सा रहता है। मुझसे आजकल किसी बात की जिद भी नहीं करता। जो कुछ कहती हूँ, फौरन मान लेता है।’’
‘‘ये तो अच्छी बात है। तुम्हारी प्राब्लम साल्व हो गयी। तुम ही तो शिकायत करती थीं कि वह तुम्हारी बात नहीं सुनता।’’
‘‘पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि उसके शरीर में कोई भूत आ गया है।’’
‘‘अब तुमने शुरू कर दीं जाहिलों वाली बातें। मुझे नींद आ रही है। मैं सोता हूँ।’’ दूसरे ही पल मि0 वर्मा के खर्राटे गूंजने लगे थे। मिसेज वर्मा थोड़ी देर कुछ सोचती रही फिर वह भी अण्टा गफील हो गयी।
अग्रवाल सर के घर पर उनके चहेते षिष्य डेरा जमाये हुए थे। यानि गगन, अमित और सुहेल सभी आपस में इस तरह बैठे थे, मानो किसी गंभीर विषय पर विचार विमर्ष कर रहे हों।
‘‘सर, समझ में नहीं आता कल का गोबर गणेष सनी एकाएक इतना तेज कैसे हो गया।’’ अमित बोला।
‘‘आश्चर्य तो मुझे भी है। लेकिन अब उसे नीचा दिखाना ही होगा। वरना और सर चढ़ जायेगा।’’ अग्रवाल सर बोले।
‘‘हाँ सर। अब तो पानी सर के ऊपर से गुजरने लगा है। अब तो वह आपको भी कुछ नहीं समझता।’’
‘‘अच्छा।’’ अग्रवाल सर ने पैर पटका। और तीनों ने मुस्कुराहट छुपाने के लिए अपने मुँह पर हाथ रख लिए। क्योंकि अग्रवाल सर के मोटे बदन की टाइट शर्ट उनके झटके से हिलने के कारण चरचरा कर फट गयी थी।
‘‘हाँ सर।’’ अमित जल्दी से बोला, ‘‘कहता है अग्रवाल सर की मैथ उसके मुकाबले में कुछ नहीं।’’
‘‘ऐसा कहा उसने।’’ गुस्से में उनके मुँह से झाग निकलने लगा था, ‘‘मैं उसे दिखाऊंगा कि गणित किस बला का नाम है। बच्चू को ऐसा सबक सिखाऊँगा कि मैथ का नाम लेना भूल जायेगा।’’
अब तीनों लड़कों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। क्योंकि वे अग्रवाल सर को गुस्सा दिलाने में कामयाब हो चुके थे। अब सनी की खैर नहीं थी।
क्रमशः
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